Life

Thursday, September 29, 2011

हैफ हम जिसपे की तैयार थे मर जाने को

हैफ हम जिसपे की तैयार थे मर जाने को

जीते जी हमने छुड़ाया उसी कशाने को

क्या ना था और बहाना कोई तडपाने को

आसमां क्या यही बाकी था सितम ढाने को

लाके गुरबत में जो रखा हमें तरसाने को

फिर ना गुलशन में हमें लायेगा शैयाद कभी

याद आयेगा किसे ये दिल

--नाशाद कभी

क्यों सुनेगा तु हमारी कोई फरियाद कभी

हम भी इस बाग में थे कैद से आजाद कभी

अब तो काहे को मिलेगी ये हवा खाने को

.....

....

देश सेवा का ही बहता है लहु नस

-नस में

हम तो खा बैंटे हैं चित्तोड़ के गढ़ की कसमें

सरफरोशी की अदा होती हैं यों ही रसमें

भाले

--खंजर से गले मिलाते हैं सब आपस में

बहानों

, तैयार चिता में हो जल जाने को

....

...

कोई माता की ऊंमीदों पे ना ड़ाले पानी

जिन्दगी भर को हमें भेज के काला पानी

मुँह में जलाद हुए जाते हैं छले पानी

अब के खंजर का पिला करके दुआ ले पानी

भरने क्यों जाये कहीं ऊमर के पैमाने को

मयकदा किसका है ये जाम

--सुबु किसका है

वार किसका है जवानों ये गुलु किसका है

जो बहे कौम के खातिर वो लहु किसका है

आसमां साफ बता दे तु अदु किसका है

क्यों नये रंग बदलता है तु तड़पाने को

दर्दमंदों से मुसीबत की हलावत पुछो

मरने वालों से जरा लुत्फ

--शहादत पुछो

चश्म

--खुश्ताख से कुछ दीद की हसरत पुछो

कुश्त

--नाज से ठोकर की कयामत पुछो

सोज कहते हैं किसे पुछ लो परवाने को

नौजवानों यही मौका है उठो खुल खेलो

और सर पर जो बला आये खुशी से झेलो

कौंम के नाम पे सदके पे जवानी दे दो

फिर मिलेगी ना ये माता की दुआएं ले लो

देखे कौन आता है ईर्शाथ बजा लाने को

-

हैफ

- Alas!

कशाने

- House

शैयाद

- Hunter

नाशाद

- Cheerless, Joyless

जाम

--सुबु - जाम से भरी सुराही

गुलु

- neck

अदु

- Enemy

हलावत

- Relish, Deliciousness

चश्म

--खुश्ताख - audacious eyes

कुश्त

--नाज - one who is killed by flattery

सोज

- Burning, Heat, Passion

ईर्शाथ

- Order, Command

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