Life

Thursday, September 29, 2011

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

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By Ram Prasad Bismil

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

,

देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है ।

करता नहीं क्यों दुसरा कुछ बातचीत

,

देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफिल मैं है ।

रहबर राहे मौहब्बत रह न जाना राह में

लज्जत

--सेहरा नवर्दी दूरिये-मंजिल में है ।

यों खड़ा मौकतल में कातिल कह रहा है बार

-बार

क्या तमन्ना

--शहादत भी किसी के दिल में है ।

ऐ शहीदे

-मुल्को-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार

अब तेरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफिल में है ।

वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमां

,

हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है ।

खींच कर लाई है सब को कत्ल होने की उम्मींद

,

आशिकों का जमघट आज कूंचे

--कातिल में है ।

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

,

देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है ।

__

रहबर

- Guide

लज्जत

- tasteful

नवर्दी

- Battle

मौकतल

- Place Where Executions Take Place, Place of Killing

मिल्लत

- Nation, faith

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